Author: team_buktree
Published: 15/06/25
Unfinished Verses: A Short Story Anthology is the result of the May 2025 Writing Competition. This collection features the heartbreaking stories and poems of talented writers who craft magical spells that are both emotional and thought-provoking.
ABOUT THE AUTHOR
Her name is Richa Goswami Sagar, Madhya Pradesh. Completed her Masters degree in Sociology and History. My hobby is Art and Craft. She is the co-author of 115+ anthologies. She started her writing journey from August 2011. Her inspiration is Nature. As a profession I am Assistant Beauty Therapist. Many certificates in writing and prizes in art and painting contest and in Beauty and Cosmetic. She has been honored as a Golden Badge holder on Pratilipi.
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प्यार एक एहसास है जिसमें देने लेने जैसा
कुछ नहीं है।
प्यार में जंग जीते भी है और हारे भी है।
प्यार ही भगवान का दिया सबसे बड़ा तोहफा है
प्यार में जान भी कुर्बान कर देते है, और उसी प्यार के लिए उस प्यार को भी छोड़ देते है।
ऐसी ही एक कहानी जो प्यार, बिछड़ना और दर्द है
सारिका जिसके किस्मत में शायद भगवान प्यार लिखना भूल गए थे या किसी जन्म कि सजा इस जन्म में उसे मिल रही थी। सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं था सारिका के पास।
सारिका के जन्म होते ही उसकी मां सविता का निधन हो गया, मां का साथ नहीं रहने की वजह से सारिका की बड़ी मां ने उसे पला, जीवनसाथी का साथ बहुत जरूरी होता है, जो सारिका के पापा को नहीं था, सविता के ना रहने की वजह से वो भी ज्यादा दिन नहीं रहे और उनका भी देहांत हो गया, मासूम सी बच्ची को हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए।
बचपन से एक सच्चे प्यार को कभी नहीं जाना। धीरे- धीरे जब बड़ी हुई तो सारिका को सब पता चला।
जब तक छोटी थी बड़ी मां की जिम्मेदारी थी, सारिका के दो बड़े भाई भी थे। मां के देहांत के समय वो भी छोटे थे तो अपनी बहन को नहीं सम्भाल सकते थे।
तीनो बच्चों का पालन पोषण बड़ी मां ने किया।
दोनों भाइयों ने पढ़ लिख कर नौकरी और व्यापार करके ज़िन्दगी संवार ली।
अब वो अपनी बहन को संभाल सकते थे,तो उसे अपने साथ रख लिया, फिर थोड़े समय बाद बड़े भाई की शादी हो गई। भाई भाभी के साथ सारिका को सच्चे प्यार के कुछ लम्हे मिले।
मां पापा का बचपन से ही प्यार नहीं मिला और हमेशा उदास रहती थी सारिका, इसलिए भाई उसका बहुत ख्याल रखते थे, बच्चे की तरह प्यार करते उससे।
बड़े भाई ने अपनी पत्नी को भी सख्त हिदायत दे रखी थी। सारिका को कभी दुखी मत करना बच्चे कि तरह ध्यान रखना उसका।
"शुरू हुआ था कुछ जो शायद मंजूर नहीं खुदा को
कुछ लम्हे तो और जी लेते साथ इतना ही क्यूं लिखा "
मगर किस्मत का बदला किसने देखा जो लिखा मुकद्दर में वो मिलेगा।
एक दिन सारिका के भाई का दोस्त समीर उसके घर आया। समीर जानता था सारिका को मगर आज कई सालों बाद देखा, तो बस देखता रह गया।
इस तरह से समीर को अपनी तरफ देखते हुए सारिका थोड़ी असहज हो गई थी। सारिका का भाई समर्थ भी वही बैठा हुए था तो सारिका पानी देकर वापस अंदर अा गई।
समीर को पता नहीं क्या हुआ कि अब वो समर्थ के घर आने के बहाने ढूंढता और हर दो तीन दिन में समर्थ से मिलने आता।
धीरे-धीरे सारिका को यह बात समझ आने लगी। एक दिन मौका मिला तो समर्थ ने सारिका से बात की।
पहले थोड़ी मनाही के बाद सारिका भी मान गई।
अब सारिका को भी समीर का साथ ,उससे बात करना अच्छा लगने लगा।
कभी फोन पर, कभी मिल कर बातें करते। मगर यह बात उसके भाई और भाभी को पता नहीं थी।
डर के छुप के बात करती थी सारिका। एक दिन वो छत पर बैठ कर बात कर रही थी और उसकी भाभी वहां पहुंच गई,अचानक से भाभी को देख कर सारिका डर गई और झटके से फोन काट दिया।
भाभी को कुछ अजीब लगा मगर सारिका से कुछ नहीं बोली।
जब सारिका के भाई घर आए तब उसकी भाभी ने सारिका के कॉल वाली बात बताई।
समर्थ - किससे बात कर रही थी,तुमने पूछा नहीं?
शिखा - नहीं मैने नहीं पूछा, कहीं सारिका को बुरा ना लगे,आप ही पूछ लीजिएगा।
समर्थ - ठीक है मैं देखता हूं
शिखा - प्यार से पूछिएगा, डांटना मत।
समर्थ ने सारिका से बात की लेकिन सारिका भाई से बात करने में हिचक रही थी। तो समर्थ के कहने पर शिखा ने उससे बात की।
फिर सारिका ने समीर के बारे में सारी बातें भाभी को बताई। बात जब समर्थ को पता चली। तब थोड़ा नाराज हुआ सारिका को डांटा भी।मगर फिर शिखा के मनाने से मान गया।
समर्थ ने समीर से बात करके उसके घर वालों से बात करी, और समीर के माता पिता भी इस रिश्ते के लिए मान गए।
सारिका और समीर की शादी बड़े धूमधाम से हो है। सारिका बहुत खुश थी।उसकी ज़िन्दगी में पहली बार बेशुमार प्यार मिला था। बहुत अच्छी कट रही थी उसकी ज़िन्दगी समीर के साथ।
शादी के 6-7 महीने बाद सारिका को खुशखबरी मिली की वो मां बनने वाली है। बहुत खुश थे सब लोग घर में, समीर और सारिका।
मगर जैसे सारिका की किस्मत में ग्रहण लगे थे, कोई भी खुशी ज्यादा समय तक नहीं रहती उसके पास।
सारिका का पूरा महीना चल रहा था, और एक दिन सड़क हादसे ने समीर की मौत हो गई।
सारिका का रो - रो के बुरा हाल था।सबको यह डर था कि इसे कुछ ना हो जाए।
समीर की मौत के 8 दिन बाद सारिका को लेबर पैन हुआ तब उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया।
सारिका ने बेटी को जन्म दिया। जो भी सारिका से मिलने हॉस्पिटल गए सबने उसे कुछ कुछ नाम सुझाए बेटी के लिए, डिलीवरी के तीसरे दिन रात में जब सारिका सो रही थी,उसे लगा कि वो सपना देख रही है - समीर गोद में अपनी बेटी को लिए उसके सामने खड़ा था, और सारिका से बोलता है - हमारी बेटी का नाम सोनम रखना।
और सारिका ने हां में सर हिलाया, अचानक से बच्ची के रोने से उसका ध्यान समीर से हटा, तो उसने देखा वो तो पलंग पर बैठी हुई थी और उसके रूम का दरवाजा खुला हुआ था। यह देखकर सारिका जोर से समीर - समीर चिल्लाते हुए रोने लगी।
साथ में सारिका की बुआजी भी थी उनकी नींद खुल गई वो भाग के सारिका के पास आई और उसे गले लगा लिया, सारिका बुआ से लिपट के बहुत देर तक रोई,फिर उसने सारी बात बुआ को बताई।
फिर सारिका ने यह बात अपने सास - ससुर को बताई तो उन्होंने अपनी पोती का नाम सोनम रख दिया।